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शनिवार, 14 मार्च 2020

हास्य व्यंग कविता , Whatsapp वाला सब देखता है

  नमस्कार , मैने एक नयी हास्य व्यंग कविता कहने कि कोशिश कि है

Whatsapp वाला सब देखता है

ऊपरवाला देखता हो चाहे ना देखता हो
Whatsapp वाला सब देखता है

कौन किसका मैसेज कॉपी कहता है
कौन किसकी तरफ से डबल टिक मरता है
एक ही मैसेज को कौन बार-बार फॉरवर्ड करता
सुबह सुबह उठकर कौन ज्ञान बघारता है
कौन किसके dp की नकल उठाता है

ऊपरवाला देखता हो चाहे ना देखता हो
Whatsapp वाला सब देखता है

कौन अपने स्टेटस में चालिस पचास फोटोस डालता है
कौन-कौन सारे ग्रुप में जाकर चुटकुले खंगालता है
कौन-कौन वीडियो कॉल मे पाउट करता है
कौन लास्ट सीन देखकर अपनी गर्लफ्रेंड पर डाउट करता है

ऊपरवाला देखता हो चाहे ना देखता हो
Whatsapp वाला सब देखता है

     मेरी ये हास्य व्यंग कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस हास्य व्यंग कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

हास्य व्यंग कविता , आपके केजरीवाल की दिल्ली

     नमस्कार , मैने एक नयी हास्य व्यंग कविता कहने कि कोशिश कि है

फ्री के मायाजाल कि दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

हवा हवाई काम हुआ है
देश में अच्छा नाम हुआ है
जनता पी रही है गंदा पानी
खुलकर सांस लेना भी हराम हुआ है

बिगड़े हुए सुर ताल की दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

पर्दे के पीछे खेल हुए हैं
बच्चे पहले से ज्यादा फेल हुए हैं
झोपड़ी अब भी झोपड़ी है
मगर फैसले  रेलम रेल हुए हैं

राजनीति के शतरंजी चाल कि दिल्ली
आपके केजरीवाल की दिल्ली

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सोमवार, 6 जनवरी 2020

हास्य व्यंग कविता . बोलो प्याज कि जय

     नमस्कार , मैने एक नयी हास्य व्यंग कविता लिखी है जिसे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं मुझे आशा है कि आपको मेरी ये कविता पसंद आएगी और आप कविता के मुल भाव तक पहुंच पाएंगे

बोलो प्याज कि जय

मंहगे हो गए प्याज
सब्जी होगयी बेस्वाद
कैसे खाए सलाद
बोलो प्याज कि जय

पडी है महगाई कि लात
मत करो पकौडो कि तुम बात
सरकार नींद से जागी आज
बोलो प्याज कि जय

प्याज के बढ गए हैं नखरे
सरकार बता रही है प्याज खाने के खतरे
प्याज के शौखिनों के चेहरे फिर से उतरे
बोलो प्याज कि जय

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मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019

हास्य व्यंग कविता, बंगाल की दीदी

     नमस्कार , मेरा मानना ये है की एक कवी एक शायर को हर किमत पर सच कहने एवं लिखने के लिए तैयार रहना चाहिए ताकी आम जन को सत्य का बोध हर पीढी हर दौर में होता रहे |  मेरी बाकी सभी कोशिशो की तरह यह हास्य व्यंग कविता भी एक कोशिश है मेरा इस कविता को लिखने का मक्सद किसी की छवी को आधात पहुचाना नही है और ना ही किसी की भावनाओ को आघात पहुचाना है |

बंगाल की दीदी

राजनीतिक चाह के बबाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी

सत्ता कि शक्ति का दुरउपयोग
बीना काम का बल प्रयोग
अहिंसको की भक्षक
और हिंसकों कि रक्षक
विरोधियों के मौतों का सबाल की दीदी

हैं बहोत ही कमाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी

न जनता का मोह न जनता की ममता
यह अविश्वास कब तक जमता
नयी हवा से जो कर्सी हिली है
रानी का गुस्सा भला कैसे थमता
हार जीत के माया जाल की दीदी

राहुल और केजरीबाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी

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सोमवार, 9 सितंबर 2019

हास्य व्यंग कविता, दीवारों के कान नही होते

     नमस्कार, आपके लिए प्रस्तुत है मेरी तकरीबन दो महीने पहले लिखी एक हास्य व्यंग कविता जिसका शीर्षक है

दीवारों के कान नहीं होते

सब कहते हैं
दीवारों के भी कान होते हैं
फिर दीवारों के नाम क्यों नहीं होते
दीवारों के मुंह क्यों नहीं होते
आंखें क्यों नहीं होती
हाथ पाऊं क्यों नहीं होते
सिर्फ कान ही क्यों होते हैं
और कहां होते हैं
और किसने देखें हैं दीवारों के कान
मैंने तो कभी नहीं देखा
कहीं भी नहीं देखा
गांव में भी नही देखा
शहर में भी नही देखा
रात में भी नही देखा
दोपहर में भी नही देखा
तो मैं कैसे मान लूं कि
दीवारों के भी कान होते हैं
सबके कहने से

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हास्य व्यंग कविता, उखाड़ लो घंटा

     नमस्कार, आपके लिए प्रस्तुत है मेरी तकरीबन दो महीने पहले लिखी एक हास्य व्यंग कविता जिसका शीर्षक है

उखाड़ लो घंटा

तुम कोशिश कर कर के मर जाओगे
ये देश नहीं बदलनेवाला
अपनी दकियानूसी सोच नहीं छोड़नेवाला
सब ने समझा समझा के खूब , गाड लिया झंडा
अब तुम भी , उखाड़ लो घंटा

हाथ पांव जोड़कर जो एक बार
विधायक , एमपी , मंत्री ये सब बन गया
वह पांच साल कुछ नहीं करेगा
खूब घोटाला और भ्रष्टाचार करेगा
अपने तिजोरी और जेब भरेगा
तुम्हारी नहीं सुनेगा
जो कर सकते हो कर लो , मार लो डंडा
अब तुम , उखाड़ लो घंटा

मजनू साहब बिक गए लैला को शैर कराने में
महंगे गिफ्ट दिलाने में
होटल पर पकवान खिलाने में
अब लैला किसी और मजनू संग फुर्र हो गई
और तुम पियो , पानी ठंडा
नहीं तो मजनू राजा , उखाड़ लो घंटा

काला धन वापस आएगा
महंगाई कम हो जाएगी
राशन सस्ता हो जाएगा
दाल सस्ती हो जाएगी
सब को रोजगार मिलेगा
पर जाने कब मिलेगा
और कुछ नहीं भी हो पाया तो
अपनी सरकार है , अपना है अंटा
और अब हमारा तुम , उखाड़ लो घंटा

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शनिवार, 8 दिसंबर 2018

हास्य कविता, जंगल का रास्ता

   नमस्कार , जंगल का रास्ता एक थोड़े से डरावने माहौल को जन्म देती हुई नजर आती है |मेरी ये तकरीबन दो बरस पहले लिखी हास्य व्यंग कविता आपको कितना डराती है या हसाती तो मुझे जरूर बताइएगा |

जंगल का रास्ता

सुनसान अंधेरे में
काली अमावस की रात
पत्तों का सरसाराना
चमगादड़ों का फड़फड़ाना
उल्लू की आवाज
निशाचरों की खटपट
चारों ओर सन्नाटा
मच्छरों का गुनगुनाना
बिल्ली की म्याऊं म्याऊं
हवा के झोंकों से पेड़ों का लहराना
घबराते , सकपकाते
एक एक कदम बढ़ाता
फिर यह सोच कर डर जाता
जाने किधर से क्या आ जाए
एक आहट होते ही
होश हो गए फाकता
जंगल का रास्ता
एकदम ऐसा ही है
जिंदगी का रास्ता

    मेरी हास्य व्यंग कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शुक्रवार, 22 जून 2018

हास्य व्यंग कविता, whatsapp का प्यार

      नमस्कार ,  आज के वक्त को डिजिटल  टाइम कहां जा रहा है | कम्प्यूटर तकनीकी की विभिन्न  प्रकार की देनो मे से एक है  सोशल नेटवर्किंग या सोशल मीडिया |  सोशल मीडिया का असर आज के युवाओं में कुछ इस तरह हो गया है कि युवा ज्यादा से ज्यादा वक्त सोशल मीडिया पर बिताने लगे हैं | जहां विभिन्न प्रकार की सोशल मीडिया डिजिटली विभिन्न संप्रदायों को जोड़ने का काम कर रही है वही वास्तविक सामाजिक खालीपन भी ला रही है |

       सोशल मीडिया में युवाओं के रुझान को देखते हुए एवं इसके दुष्प्रभाव को समझते हुए मैंने 11 मई 2018 को एक हास्य व्यंग कविता लिखी थी |  उस हास्य व्यंग कविता को आज मैं आपके समक्ष प्रेषित कर रहा हूं -

WhatsApp का प्यार

हास्य व्यंग कविता, whatsapp का प्यार

एक दिन एक लड़के ने एक लड़की के
WhatsApp अकाउंट पर भेजा 'हाय'
लड़की ने मैसेज का जवाब दिया
क्या है ?
लड़के ने फिर मैसेज किया - 'हेलो'
लड़की ने फिर मैसेज के जवाब में कहा
और भी तो कुछ बोलो
फिर क्या था

दोनों का WhatsApp पर ही मिलना   मिलाना होने लगा
यहां तक कि रूठना मनाना होने लगा
यूं लगने लगा था कि दोनों की सगाई हो गई
मगर एक दिन दोनों की WhatsApp पर  ही गहरी लड़ाई हो गई
फिर क्या हुआ होगा , 'पूछो ?
दोनों ने अपने जख्मों को ही सजा लिया
पुराना WhatsApp कांटेक्ट डिलीट किया और नया बना लिया

      मेरी ये हास्य व्यंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

हास्य व्यंग कविता, कम्प्यूटर साइंस बाहुबली है

   नमस्कार , यह दौर तकनीकी का दौर है उसमें भी अगर यह कहा जाए कि यह कंप्यूटर तकनीकी का दौर है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी | आज दुनिया में जिस तरह से कंप्यूटर तकनीकी का बोलबाला है कि दुनिया की बड़ी से बड़ी जानकारी आपके एक बटन दबाते ही आपके सामने आ जाती है | मानो जैसे पुरी दुनियां एक छोटे से कंप्यूटर में सिमट के रह गई हो |

     इसी विषय को आधार बनाते हुए मैंने तकरीबन 4 महीने पहले एक हास्य व्यंग कविता लिखी है | जिसे मैं आज आपके  मनोरंजन के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं -

कंप्यूटर साइंस बाहुबली है

हास्य व्यंग कविता, कम्प्यूटर साइंस बाहुबली है

टेक्नोलॉजी की चैंपियन
इंजीनियरिंग के खली है
ध्यान लगाकर सब ये सुन लो
कंप्यूटर साइंस बाहुबली है

बड़े-बड़े एयरक्राफ्ट भी
इसके सामने सर झुकाते
रोबोट्स इसके के गुलाम हैं
स्मार्टफोन , लैपटॉप्स के बच्चे कहलाते
विज्ञान से इसका जन्म हुआ है
अमेरिका में पली-बढ़ी है
ध्यान लगाकर सब ये सुनलो
कंप्यूटर साइंस बाहुबली है

सुनने को संगीत दे दिया
देखने को LCD टीबी दे दी
एक क्लिक में सब कुछ हाजिर
एक फोन में दुनिया दे दी
कौन जाने कहां रुकेगी
टेक्नोलॉजी की लहर ये जो अब चली है

टेक्नोलॉजी की चैंपियन
इंजीनियरिंग की खली है
ध्यान लगाकर सब ये सुनलो
कंप्यूटर साइंस बाहुबली है

      मेरी ये हास्य व्यंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार | 

रविवार, 6 मई 2018

शादियों का दौर है

  शादियों का दौर है मेरी यह हास्य व्यंग कविता शादी के बाद पति पत्नी के खट्टे-मीठे रिश्ते पर  आधारित है | शादी इंसानी जिंदगी का वह रिश्ता है जो जिंदगी को मुकम्मल बनाता है | इस रिश्ते में पति पत्नी के दरमियां हजारों अनबन हजारों , तीखी मीठी नोकझोंक होती रहती हैं | 

शादियों का दौर है

          शादी से पहले और शादी के बाद के विरोधाभास को मैंने अपने कविता में व्यंगात्मक रुप से प्रदर्शित किया है  और उसे हास्य का रूप देने की कोशिश की है | मुझे उम्मीद है मेरी यह कविता आपका मनोरंजन करेगी -
शादियों का दौर है
शादियों का दौर है
आबादियों का दौर है
या बर्बादियों का दौर है
उलझने सिर्फ इतनी नहीं
सवाल अभी और हैं
शादियों का दौर है

शादी के दिन दोस्त  नचाते हैं
फिर जिंदगी भर पत्नी नचाती है
शादी की रात भर सब ढोल बजाते हैं
फिर पत्नी सारी उमर बैंड बजआती है
शादी के दिन और रात राजा जैसे खातिरदारी मिलती है
और सारी जिंदगी गुलाम जैसी हालत रहती है
शादी तो खुशियों का जाना है
और दुखों का घर आना है
गलत समझ रहे हैं आप
मेरे कहने का मतलब कुछ और है
शादियों का दौर है

शादी से पहले पढ़ाई में
गणित को समझना मुश्किल होता है
शादी के बाद जिंदगी में
पत्नी को समझना नामुमकिन होता है
पत्नी अगर बोलती रहे
तो खतरा होती है
पत्नी अगर ना बोले
तो खतरनाक होती है
दूर के ढोल सुहावने लगते हैं
यह कहावत सबसे ज्यादा शादी पर लागू होती है
बस इतनी नहीं शादी की तारीफ अभी और है
शादियों का दौर है

     मेरी यह हास्य व्यंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

शनिवार, 30 सितंबर 2017

दशहरा , नेता और रावण मौसेरे भाई

     आज का दिन दशहरा दुनिया भर में असत्य पर सत्य की जीत के रूप में , पाप पर पुण्य की जीत के रूप में मनाया जाता है | इससे पहले कि मैं कुछ और आगे लिखूं सर्वप्रथम आप सबको दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं | आज के दिन ही भगवान श्रीराम ने दशानन रावण का वध किया था और बुराई पर अच्छाई की जीत का शंखनाद किया था | प्रतिवर्ष दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है , रावण के पुतले का दहन करने का मकसद सिर्फ इतना होता है कि हम सभी अपने मन के भीतर छुपी सभी बुराइयों का भी दहन कर दें | पर क्या हम ऐसा कर पाते हैं ? , क्या हम अपनी सभी बुराइयों को छोड़ पाते हैं ? , जवाब बिल्कुल आसान सा है , नहीं | क्योंकि अगर हम अपने भीतर छिपी सभी बुराइयों का दहन कर पाते तो हम लोभी , अहंकारी और भ्रष्टाचारी नहीं होते | हम क्रोधी और ईर्ष्यालु भी नहीं होते |

दशहरा

        दशहरे के अवसर पर मैंने एक हास्य व्यंग कविता लिखी है | जिसमें व्यंग का पात्र अपने देश के भ्रष्टाचारी नेताओं को बनाया है | कविता का आधार रावण और भ्रष्टाचारी नेताओं के भीतर छुपी बुराइयों एवं उनके आचरण में समानता प्रदर्शित करता है , और यही कविता के व्यंग का स्वरुप है | कविता प्रस्तुत है -

नेता और रावण मौसेरे भाई

जैसे शिकारी और कसाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

दोनों पापी , दोनों लोभी
दोनों कामी , दोनों क्रोधी
रावण ने सीता हरण किया
नेताओं ने देश को भ्रष्टाचार व घोटालो वाली सरकार दिया

एक राक्षस तो दूसरा हरजाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

रावण ने सोने की लंका बनाबाया
नेताओं ने सोने को ही तिजोरियों में है छुपाया 
जैसे रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगवाया 
नेताओं ने भी अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को जान से है मरवाया

एक है दानव दूसरे से हैवानियत भी शरमाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

जैसे शिकारी और कसाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

       यह हास्य व्यंग कवित आपको कैसाी लगाी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

मंगलवार, 9 मई 2017

कभी एक IPL ऐसा भी हो , जिसका खुमार IPL जैसा ही हो

     IPL 2017 अपने पूरे शबाब पर हैअब तो यह क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी जुनून से कम नहीं है और इसका खुमार सिर चढ़कर बोल रहा है | 2008 से शुरू होने वाला क्रिकेट का यह T20 फॉर्मेट 2017 तक आते-आते अनेक रोमांचकारीें मैचों का जन्मदाता बन चुका है |  IPL के 10 साल के इतिहास में कई टीमों को जीत का मीठा स्वाद तो कई टीमों को हार की खटास झेलनी पड़ी हैकई टीमों खिलाड़ियों ने जीत का जश्न  मनाया है तो कई टीमों खिलाड़ियों ने हार के आंसू बहाए हैं 

कभी एक IPL ऐसा भी हो , जिसका खुमार  IPL जैसा ही हो


    

कभी एक IPL ऐसा भी हो , जिसका खुमार  IPL जैसा ही हो

   IPL के 10 साल के हर लम्हे का गवाह भारत ही नहीं पूरी दुनिया से हर क्रिकेट प्रेमी बना है | IPL के इतने लंबे क्रिकेट करियर में अभी तक  कुछ खिलाड़ियों पर फिक्सिंग के आरोप लग चुके हैं और वह खिलाड़ी इस फॉर्मेट से निकाले भी जा चुके हैं उन खिलाड़ियों से जुड़ी टीमों पर सदा के लिए प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है , बावजूद इसके IPL की लोकप्रियता में कोई कमी आई है और क्रिकेट प्रेमियों के लिए IPL की दीवानगी में कमी आई है |

कभी एक IPL ऐसा भी हो , जिसका खुमार  IPL जैसा ही हो
       
       IPL की इसी दीवानगी को केंद्र में रखकर मैंने अपने दृष्टिकोण से एक हास्य व्यंग की कविता लिखी है | उम्मीद करता हूं कि मेरा दृष्टिकोण आप लोगों को भी अपने दृष्टिकोण जैसा ही लगे और आप लोग भी इस दृष्टिकोण से पूर्ण रूप से सहमत  हो | कविता कुछ इस तरह से है -

कभी एक IPL ऐसा भी हो
जिसका खुमार  IPL जैसा ही हो


कभी ऐसी गुगली आए
की बेरोजगारी आउट हो जाए
गरीबी LBW हो
महंगाई रन आउट हो
भ्रष्टाचार जो लगातार स्कोर कार्ड बढ़ाएं चला जा रहा है
उसका इनसे भी बुरा हाल हो जाए
जब लंबी हिट लगाए तो
बाउंड्री लाइन पर कैच आउट हो जाए
हमेशा मैच हमारा भारत ही जीते
ग्राउंड चाहे जैसा भी हो

कभी एक IPL ऐसा भी हो , जिसका खुमार  IPL जैसा ही हो

कभी एक IPL ऐसा भी हो , जिसका खुमार  IPL जैसा ही हो

कभी एक IPL ऐसा भी हो
जिसका खुमार  IPL जैसा ही हो
हम सभी हिंदुस्तानी एक टीम है
हमारी एकता अखंडता में कहीं फिक्सिंग हो
दंगों की डेड बॉल हो
भेदभाव की नोबॉल हो
लिंगभेद करने वालों पर सदा के लिए प्रतिबंध लगे
परस्पर प्यार और भाईचारे का मैच
हमेशा चलता ही रहे
दिन हो चाहे रात हो

कभी एक IPL ऐसा भी हो
जिसका खुमार  IPL जैसा ही हो

    
मेरी यह हास्य व्यंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

शुक्रवार, 24 मार्च 2017

बिकाऊ है

   'बिकाऊ है' मैंने यह हास्य व्यंग कविता  हमारे समाज में फैले दहेज प्रथा जैसे विषाक्त  कुरीति से प्रेरित होकर लिखा है | दहेज प्रथा हमारे समाज  की एक ऐसी  कुरीति है , एक ऐसी बुराई है जिसने विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को मात्र एक व्यापार बना कर रख दिया है | जहां ऐसा लगता है कि शादी दो दिलों का रिश्ता ना होकर , दो परिवारों का रिश्ता ना होकर  मात्र क्रेता और विक्रेता का रिश्ता हो | जहां वर पक्ष विक्रेता और वधू पक्ष क्रेता होते हैं |        
                
दहेज प्रथा

       जहां वर के मूल्य का आकलन उसके शिक्षित और कामकाजी होने के आधार पर किया जाता हैविवाह में इसी व्यापार के वजह से आज बेटियां मां बाप के लिए  बोझ स्वरूप लगती हैं | दहेज की इसी आग में हर रोज हजारों बहू बेटियों प्रताड़ित किया जाता है  यहां तक कि दहेज की इस आग में  कभी-कभी बहू बेटियों को जला तक दिया जाता है


 हमारी बहू बहन-बेटियों की गरिमा एवम सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी हो गया है कि हमारे समाज , हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति इसे अपने स्तर पर खत्म करने का बीड़ा  उठाए | नहीं तो मुझे लगता है कि कुछ दिनों बाद कुछ इस तरह से अखबारों में  विवाह के लिए विज्ञापन दिए जाएंगे -

बिकाऊ है
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खत एवं ईमेल की सुविधा भी उपलब्ध है
कृपया देर बिल्कुल भी ना करें
ऐसा मौका ना गवाएं
भारी छूट का लाभ उठाएं
                   
दहेज प्रथा
उम्र 24 साल
कद 5 फुट 10 इंच है
रंग गोरा शरीर मजबूत है
युवक शिक्षित एवं नौकरी धारक है
सालाना आय 6 अंको में है
गृहकार्य में भी महारत हासिल है
विवाह के लिए सुयोग्य
जाति एवं धर्म बंधन है
कीमत मात्र 1000000 रुपए से शुरू
इससे दुगनी कीमत देने वालों को
प्राथमिकता दी जाएगी
कृपया इन माध्यमों से संपर्क करें

वैधानिक सूचना
युवक की उपयोगिता का आश्वासन 
विक्रेता द्वारा नहीं दिया जाता
बिका हुआ माल वापस नहीं लिया जाता
शर्तें लागू

  
मेरी यह हास्य व्यंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

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